छात्र तैयारी कैसे करें
छात्र देश के भावी नेता एवं शासक हैं।ये राष्ट्र के मेरुदंड हैं। वे कई प्रकार से राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदा दे सकते हैं। वे कई विकासपरक योजनाओं में काम कर सकते हैं। हमारे देश की कई सामाजिक समस्यायों कोहल किया जाना है और उन पर तत्काल धयान देने की आवश्यकता है। वे गावों में काम कर सकते हैं। उनके लिए एक और मार्ग यह है कि वे भविष्य में बड़ी जिम्मेदारियों को स्वीकार करने के लिए तैयारी करें।उन्हें देश का अच्छा नागरिक बनने का प्रयास करना चाहिए। यह व्यक्तिगत और राष्ट्रीय दोनों नजरिये से अत्यंत आवश्यक है। इस पृष्ठ्भूमि में भारत का नागरिक के रूप में छात्रों के निम्नलिखित आवश्यक कर्तव्य हैं :
ज्ञानार्जन –
जीवन की अवधि ज्ञानार्जन के लिए बहुत काम होती है। छात्र जीवन मुख्य रूप से अध्ययन होता है। जो छात्र अपनी पूरी ऊर्जा और समय अपने अध्ययन पर खर्च करता है वह देश का अच्छा सपूत माना जाता है। भारत को मानसिक रूप से सजग युवक – युवतियों की जरुरत है। यह छात्रों का कर्तव्य है कि वे अपने अध्ययन काल के दौरान जितना हो सके जानकारी और ज्ञान प्राप्त करें।
अनुशासन –
गैर अनुशासित नागरिकों वाला कोई देश कभी भी कोई प्रगति नहीं कर सकता हैं। ऐसा देश सदैव ाष्टित्व्हीं होने के कगार पर रहता है। अतः यह छात्रों का महत्वपूर्ण हो जाता है कि अपने को पूर्ण रूप से अनुशाषित बनाएँ। उन्हें अपने व्यवहार ,चरित्र और कार्यों में अनुशासित होना चाहिए।अनुशासित नागरिकों के बिना कोई राष्ट्र कभी भी प्रगति पथ पर कदम आगे नहीं बढ़ा सकता हैं। अतः छात्रों को अपने जीवन के प्रारंभिक काल से अनुशासन का पाठ सीख लेना चाहिए।
उच्च चरित्र –
केवल बड़ी बड़ी फैक्ट्रियाँ ,बाँधों और भवनों से ही राष्ट्र नहीं बनता। यह केवल अपने नागरिकों के चरित्र के बलबूते पर ही जीवित रह सकता है। तीन सौ बर्षों तक की विदेशी दासता के कारण हमारा नैतिक चरित्र हिल गया था। छात्र अभी प्रशिक्षण की प्रक्रिया में हैं। अतः यह उनका पवित्र कर्तव्य है कि वे अपने चरित्र का निर्माण करें। उन्हें अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों से ही स्व – सहायता ,स्व- निर्भरता और स्व- त्याग का पाठ सीख लेना चाइये। ये चरित्र के वे आवश्यक गुण है जो उन्हें अवश्य अर्जित करने चाहिए। उन्हें कक्षाओं में ,खेल के मैदानों में और महाविद्यालयीन जीवन के अन्य कार्यकलापों में एक दूसरे को सहयोग देना चाहिए। उनके लिए चरित्र के विकास से बढ़कर और कोई महत्वपूर्ण कर्तव्य नहीं हैं।
भविष्य की तैयारी –
संक्षेप में वर्तमान छात्रों की समस्या या चिंता नहीं है। राष्ट्र की नियति को आकार देने के लिए अनुभवी नेतागण मौजूद हैं। छात्रों को उनका स्थान लेने की जरुरत तभी पड़ेगी जब वे नेतागण सेवानिवृत होंगे। वे राष्ट्र के भावी निर्माता है। वर्तमान में उनका कर्तव्य भविष्य के लिए तैयारी करना है। उन्हें नैतिक ,भावनात्मक ,मानसिक और शारीरिक रूप से संपन्न होना चाहिए। ऐसा होने पर ही वे मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर पाएंगे।