पिकनिक पर निबंध
इसमें कोई संदेह नहीं है कि विद्यालय रोचक पढाई के साथ दोस्तों , सहपाठियों के साथ की जाने वाली सभी प्रकार की शरारतों और हँसी – मज़ाक आदि का भी अवसर प्रदान करता है . किन्तु इसके बावजूद पढ़ाई के लंबे लंबे पीरियडों , परीक्षाओं और परीक्षाफल के घोषित किये जाने के पहले के इंतज़ार के दिनों के बाद हर कोई पिकनिक या वनभोज का आनंद उठाना पसंद करता हैं . पिकनिक शब्द ही अपने उत्तेजना और रोमांच की अनुभूति का पर्याय है जो हर किसी को रोमांचित कर देता है .
पिकनिक की योजना
यूँ तो परिवार और दोस्तों के साथ भी पिकनिक का आनंद उठाया जा सकता है किन्तु सहपाठियों के साथ स्कूल की पिकनिक पर जाने पर भी जो आनंद मिलता है ,उसकी तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती हैं . पिछले साल मैं अपने सहपाठियों और शिक्षकों के साथ जिस पिकनिक पर गया था वह मुझे अभी भी अच्छी तरह से याद है . वह यादगार घटना है . हमने कईं दिनों पहले योजना बनानी शुरू कर दी थी और उपयुक्त स्थान के चयन में मुद्दे पर घंटों बहस की थी . अंत में हमने अपने शहर के बाहरी भाग के पहाड़ियों में स्थित एक सुन्दर स्थान पर पिकनिक पर जाने का फैसला किया .
पिकनिक का आनन्द
पिकनिक पर हमें जो आनंद मिलने वाला था हम उसकी कल्पना मात्र से ही रोमांचित थे और दूसरे आनंद उसके सामने बौने लग रहे थे . रात में हमें शायद ही सो पाए होंगे और सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गए . सभी रफ जींस और वाकिंग जूतों में लैस थे .कुछ लोगों ने तो यह भी हमारे शिक्षकगण हमें तैरने की अनुमति भी देंगे इसीलिए वे लोग नहाने वाले कपडे भी साथ लाये थे . संगीत ,गेम्स उपकरण और ढेर सारी स्वादिष्ट खाद्य सामग्री हमारे झोलों में भरे हुए थे .
बस तैयार थी और स्कूल के गेट के पास खड़ी थी . सूर्य की धूप निकलने से पहले ही बच्चों का झूंड दमकते चेहरों और ख़ुशी के साथ चमकती आँखों के साथ बस में सवार हो चुका था . हमारे प्रधानाचार्य ने हमें विदाई दी किन्तु साथ में हमें सजग रहने की हिदायत भी दे गए . बस ने ज्योंही चीड़ के वृक्षों से ढकी पहाड़ियों को पार किया बस में गीत संगीत और हँसी ठहाकों की लहरें तैरने लगी .
संतोष और संतुष्टि की भावना
पिकनिक स्थान अत्यंत मनोरम था . वहाँ एक छोटी नदी भी थी जिसमें छोटी – छोटी मछलियाँ थी . वहाँ घास के मैदान थे और खेलों के लिए पर्याप्त स्थान था . लड़कियों और शिक्षकों ने मिलकर शानदार भोजन बनाया जबकि लड़के घूम रहे थे , प्रकृति के साहचर्य का अनुभव कर रहे थे हर अच्छी चीज़ का अंत होता ही है अतः हमारे लौटने का समय हो ही गया . किन्तु जब हम अपने घरों के लिए वापस लौट रहे थे तो हमारे चेहरों पर गहरे संतोष और संतुष्टि की भावना साफ़ तौर पर देखि जा सकती थी .