बोर्ड परीक्षा का पहला दिन

बोर्ड परीक्षा का पहला दिन

हालांकि मैंने घड़ी में सुबह पांच बजे का अलार्म सेट कर दिया था किन्तु मुझे अलार्म की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी।  मैं सूर्योदय होने से पहले ही सोकर उठ चुका था।  ऐसा इसीलिए नहीं हुआ कि मैं चिंता या तनाव में था बल्कि मैं उत्तेजना और रोमांच का नौबाहु कर रहा था। मैं उठकर सुबह की ताज़ी हवा में साँस लेने  बालकनी में गया।  मैंने पिछली रात को काफी देर तक पढ़ाई की थी और ज्योंही सुबह की स्वच्छ और ताज़ी हवा मेरे फेफड़ों में भरी मैंने अपने आपको एकदम तारो ताज़ा नुभव किया।  उसके बाद मेरी माँ ने मुझे एक गिलास गर्म दूध पीने के लिए दिया।

परीक्षा का डर

मेरे दोस्तों की यह शिकायत रहती है कि  वे परीक्षा से पहले अपने आपको नर्वस मससूस करते हैं। वे इसे परीक्षा रोग कहते हैं जैसे  को जहाजी मतली अथवा हवाई जहाज़ वाली मल्टी की शिकायत हो जाती है।  किन्तु मुझे ऐसे कोई परेशानी नहीं होती है और मेरे अनादर ऐसे कोई लक्षण बिलकुल नहीं दिखाई देते।  मैंने अपने आत्म विश्वास से परिपूर्ण और तैयार पाटा हूँ कि जैसे कि कोई बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा हूँ।  मैं परीक्षा भवन पहुँचने के लिए उत्सुक था ताकि प्रश्न पत्र मिले और मैं वह सब लिखूँ जो मैंने पढ़ा था।
मैंने कठोर परिश्रम किया था।  मैंने परीक्षा की तैयारी के लिए घंटो पढ़ाई की थी। यह मेरी फाइनल स्कूल लिविंग परीक्षा थी और जानता था कि मुझे अच्छे अंक लाने हैं। किसी अच्छे कॉलेज में प्रवेश मिलने से मेरी आगे की पढ़ाई में काफी मदद मिल जायेगी और यह  सब इसी परीक्षा के परिणाम पर निर्भर था।

परीक्षा का महत्व

इसके अलावा मेरे माता – पिता को भी यह अपेक्षा है कि मैं इस परीक्षा में बहुत अच्छे अंक लाऊँ।  उन्होंने काफी पैसे खर्च किये थे और अच्छे स्कूल में मेरे नाम लिखाया था।  मुझे बढ़िया से बढ़िया मार्ग -दर्शन और कोचिंग प्राप्त हो इसलिए लिए उन्होंने कोई कोर कसार नहीं छोड़ी थी। जब मैं रात को पढ़ाई करता था मेरे माँ देर तक जागती थी।  जब मैं पुनः सुबह जल्दी उठ जाती थी और मेरी देख भाल और सुविधा में जुट जाती थी।  मुझे इस परीक्षा में अच्छे अंक लाकर अपने माता – पिता के सपनों को साकार करना है।

परीक्षा भवन का दृश्य

मैं ठीक समय पर परीक्षा भवन पर पहुँच गया।दोस्तों से दुआ सलाम और शुभेक्षाओं के आदान – प्रदान और उसने थोड़ी बात चीत करने के बाद मैंने हाल में प्रवेश किया।  मेरे दिल की धड़कने तेज़ हो गयी थी और मैं प्रश्न पत्र पाने के लिए अधीर हो रहा था।  आज अंगेजी यानी मेरे पसंदीदा विषय का प्रश्न पत्र था।  अंतत : प्रश्न पत्र मुझे दिया गया। जैसे जैसे मैंने प्रश्न पत्र  पर सरसरी तौर पर निगाह डाली मैं ख़ुशी से मानो झूम उठा। प्रश्न पत्र वैसा ही बनाया  की मैंने अपेक्षा की थी और प्रश्न पत्र आसान लग रहा था।  एक बार ज्योंही मैंने लिखना शुरू किया मेरे विचार कलम के जरिए उत्तर पुस्तिका पर लगातार अंकित होने लगे।  जैसे कोई ट्रैन अपने गंतव्य के लिए रेल पत्तियों पर सुरक्षित रूप से दौड़ती जाती है उसी प्रकार से मैं भी अपनी सफ़लता की मंजिल की ओर  बढ़ा जा रहा था।
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