विराम चिह्न

विराम का अर्थ- ‘विश्राम’ या ‘ठहराव’

भाषा द्वारा जब हम अपने भावों को प्रकट करते हैं तब एक विचार या उसके कुछ अंश को प्रकट करने के बाद थोड़ा रुकते हैं, इसे ही ‘विराम’ कहा जाता है|

जैसे- मैंने राम से कहा रुको, मत जाओ|

उपर्युक्त उदाहरण में रुको के बाद चिह्न का प्रयोग किया गया है जिससे अर्थ स्पष्ट हो सके|
(चिह्न न होता तो इसका अर्थ रुकना नहीं है जाना है भी हो सकता था)

विराम चिह्नों के प्रकार

  1. पूर्ण विराम (full stop)
  2. अपूर्ण/ उपविराम चिह्न (colon)
  3. अर्द्ध विराम (semicolon)
  4. अल्प विराम(comma)
  5. प्रश्नबोधक (Question mark/ note of interrogation)
  6. विस्मयादिबोधक (Exclamation  mark)
  7. निर्देशक चिह्न (Dash)
  8. योजक चिह्न  (Hyphen)
  9. कोष्ठक चिह्न (Bracket)
  10. उद्धरण चिह्न
  11. लाघव चिह्न  (Short sign)
  12. विवरण चिह्न
  13. लोप सूचक चिह्न
  14. त्रुटिबोधक/काकपद/हंसपद चिह्न
  15. अनुवृत्ति चिह्न

1) पूर्ण विराम चिह्न 

वाक्य की समाप्ति पर इस चिह्न का प्रयोग
किया जाता है
जैसे-
राम खेलने जा रहा है|

2) अपूर्ण विराम या उपविराम :

 जब एक वाक्य समाप्त होने पर भी भाव समाप्त नहीं होता है वहाँ इसका  प्रयोग किया जाता है|
संवाद लेखन में भी इस चिह्न का प्रयोग होता है|

जैसे-  1- शब्द और अर्थ के बीच तीन में से कोई संबंध हो सकता है: अभिधा, लक्षणा, व्यंजना|

2- राम: मैं डॉक्टर बनना चाहती हूँ|

3) अर्द्ध  विराम चिह्न .,

जहाँ  अपूर्ण विराम की अपेक्षा कम ठहराव होता है

जैसे- मुझे पैसा मिलना  चाहिए., मैं काम कर सकती हूँ|

4) अल्प विराम चिह्न ,

इसमें बहुत ही कम ठहराव होता है

जैसे- राम, श्याम और मोहन खेल रहे हैं|

5) प्रश्नबोधक चिह्न?

 प्रश्न का बोध कराने वाले वाक्यों के अंत में इसका प्रयोग किया जाता है

जैसे-  क्या आप घूमने जा रहे हैं?

6)  विस्मयादिबोधक चिह्न!

विस्मय, हर्ष, शोक,घृणा, प्रेम आदि भावों को प्रकट करने वाले शब्दों के आगे इसका प्रयोग होता है

जैसे-  शाबाश!  तुम इसी तरह सफल होते रहना|

छि:! कितनी गंदी आदत है|

7) निर्देशक चिह्न _

इस चिह्न का प्रयोग स्पष्टीकरण तथा विवरण देने के लिये होता है

जैसे- राम ने कहा- मोहन पढ़ने गया है|

8) योजक चिह्न –

इस चिह्न को विभाजक या समास बोधक चिह्न भी कहते हैं | इसका प्रयोग प्राय: द्वंद्व समास के बीच किया जाता है

जैसे-
माता-पिता दोनों खुश थे|

9) कोष्ठक चिह्न ( )

किसी शब्दांश या वाक्यांश को विशेष रूप से स्पष्ट करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है

जैसे-  वह अनवरत(लगातार) काम करता है|

10) उद्धरण बोधक/ अवतरण चिह्न “”/ ‘ ‘

इसका प्रयोग किसी कथन या अवतरण के आरम्भ तथा अन्त में होता है|
किसी महापुरुष का कथन या किसी की कही गयी बात को ज्यों का त्यों लिखते हैं तब इस चिह्न का प्रयोग करते हैं|

जैसे- सुभाष चन्द्र बोस ने कहा है कि “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा”

‘कर्म ही पूजा है’

11) लाघव  चिह्न •

किसी शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने के लिए प्रथम वर्ण के बाद इस चिह्न का प्रयोग करते हैं

जैसे-
डॉ•
पं•

 [ क्रमश: डॉक्टर, पंडित शब्द को संक्षिप्त किया गया]

12) विवरण सूचक चिह्न :-

जब किसी पद की व्याख्या करनी हो या विस्तार से कुछ कहना हो तब इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है

जैसे- उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं
:- ताजमहल, इमामबाड़ा आदि|

13) लोप सूचक चिह्न +++/ ……..

जहाँ किसी अवतरण का पूरा अंश न लिखकर कुछ छोड़ दिया जाये या गोपनीय अथवा अश्लील  पदों को छुपाया जाता है वहाँ इस चिह्न का प्रयोग होता है

जैसे-  अरे! तुम अभी तक…….

दारोगा ने उसे गाली देते हुए कहा……..

14) त्रुटिबोधक/हंसपद/काकपद ^

वाक्य में जब कोई शब्द बीच में छूट जाता है तो इस चिह्न  का प्रयोग करके छूटे हुए शब्द को लिखते हैं

जैसे-    7
वह रोज^ बजे स्कूल जाता है|

15) अनुवृत्ति चिह्न ,,

जब एक ही शब्द बार बार उस शब्द के नीचे  लिखना होता है तो इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है

जैसे-

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
,,          महावीर ,,       ,,
,,           रामचन्द्र शुक्ल