गाय पर लेख
गाय एक पालतू जानवर है . इसके चार पैर , दो सींघ , दो कान , दो आँख व एक लम्बी पूँछ होती है . इसका शरीर तीन से पाँच हाथ लम्बा और तीन से चार हाँथ ऊँचा होता है . गाय सफ़ेद , काली , चितकबरी , लाल इत्यादि अनेक रंगों की होती है .
आकृति :
गाय एक शाकाहारी जानवर है . यह घास , अन्न , भूसा , खली, भूसी , चोकर व पुवाल आदि खाती है .गाय पहले
गाय एक पालतू जानवर है . इसके चार पैर , दो सींघ , दो कान , दो आँख व एक लम्बी पूँछ होती है . इसका शरीर तीन से पाँच हाथ लम्बा और तीन से चार हाँथ ऊँचा होता है . गाय सफ़ेद , काली , चितकबरी , लाल इत्यादि अनेक रंगों की होती है .
आकृति :
गाय एक शाकाहारी जानवर है . यह घास , अन्न , भूसा , खली, भूसी , चोकर व पुवाल आदि खाती है .गाय पहले
चारा निगल जाती है , फिर उसे थोड़ा – थोड़ा मुँह में लेकर चबाती है . इसे हम जुगाली या पागुर करना कहते है .
प्राप्ति – स्थान :
गाय प्राय : दुनियाँ के हरेक देश में पायी जाती है . यूरोप , अमेरिका व आस्ट्रेलिया की गायें बहुत ही दूध देने वाली होती हैं . हमारे देश में पंजाब , हरियाणा व गुजरात की गायें अधिक दूध देने वाली होती हैं .
स्वभाव :
गाय स्वभाव से बहुत सीधी- सादी होती है . यह अपने बच्चे को बहुत प्यार करती है . गाय , अपने पालने वाले को जल्दी ही पहचान लेती है .
उपयोगिता :
पालतू जानवरों में गाय हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है . इसका दूध बहुत ही पुष्टिकारक होता है . इसके दूध से दही , मक्खन ,घी और तरह – तरह की मिठाईयां बनती हैं . काली गाय का दूध बहुत ही मीठा होता है . इसके शरीर का सम्पूर्ण भाग हमारे लिए उपयोगी है .
उपसंहार :
गाय हमारे लिए कल्प – वृक्ष है . इसकी उपयोगिता को देखकर ही हम इसे ‘गोमाता ‘ कहते हैं . प्राचीन काल से ही हम इसे पूजते चले आ रहे हैं , परन्तु दुर्भाग्य यह है कि आज हमारे देश में गायों की दशा दयनीय है . गायों की दशा में सुधार करना हमारा कर्तव्य है . गाय , धरती ,अनाज व चारागाह हमारे देश के किसानों की शोभा ही नहीं पूँजी भी हैं . गाय की रक्षा से ही सबकी रक्षा होगी . इसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में किसी ने ठीक ही कहा है –
गाय बड़ी उपकारिणी ,दूध ,दही ,घृत ,देत .
गोबर से उपले बने , पड़े खाद वन खेत ..
चारा निगल जाती है , फिर उसे थोड़ा – थोड़ा मुँह में लेकर चबाती है . इसे हम जुगाली या पागुर करना कहते है .
प्राप्ति – स्थान :
गाय प्राय : दुनियाँ के हरेक देश में पायी जाती है . यूरोप , अमेरिका व आस्ट्रेलिया की गायें बहुत ही दूध देने वाली होती हैं . हमारे देश में पंजाब , हरियाणा व गुजरात की गायें अधिक दूध देने वाली होती हैं .
स्वभाव :
गाय स्वभाव से बहुत सीधी- सादी होती है . यह अपने बच्चे को बहुत प्यार करती है . गाय , अपने पालने वाले को जल्दी ही पहचान लेती है .
उपयोगिता :
पालतू जानवरों में गाय हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है . इसका दूध बहुत ही पुष्टिकारक होता है . इसके दूध से दही , मक्खन ,घी और तरह – तरह की मिठाईयां बनती हैं . काली गाय का दूध बहुत ही मीठा होता है . इसके शरीर का सम्पूर्ण भाग हमारे लिए उपयोगी है .
उपसंहार :
गाय हमारे लिए कल्प – वृक्ष है . इसकी उपयोगिता को देखकर ही हम इसे ‘गोमाता ‘ कहते हैं . प्राचीन काल से ही हम इसे पूजते चले आ रहे हैं , परन्तु दुर्भाग्य यह है कि आज हमारे देश में गायों की दशा दयनीय है . गायों की दशा में सुधार करना हमारा कर्तव्य है . गाय , धरती ,अनाज व चारागाह हमारे देश के किसानों की शोभा ही नहीं पूँजी भी हैं . गाय की रक्षा से ही सबकी रक्षा होगी . इसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में किसी ने ठीक ही कहा है –
गाय बड़ी उपकारिणी ,दूध ,दही ,घृत ,देत .
गोबर से उपले बने , पड़े खाद वन खेत ..