शिक्षा का महत्व
आज मनुष्य के लिए जितना महत्व भोजन , कपड़ा,हवा और पानी का है , उससे कहीं अधिक महत्व शिक्षा का है . शिक्षा के अभाव में मनुष्य पशु के समान हो जाता है .
महत्व :
शिक्षा का मानव जीवन में बहुत महत्व है . कुछ विद्वानों का कहना है कि शिक्षा केवल इसीलिए ग्रहण की जाती है कि मनुष्य अपनी जीविका कमा कर दाल – रोटी खा सके . परन्तु यह शिक्षा का वास्तविक ध्येय नहीं है . अन्य विद्वानों ने कहा है कि शिक्षा का वास्तविक ध्येय मनुष्यों को सदाचारी बनाना है और कुछ अन्य के अनुसार शिक्षा का ध्येय मनुष्यों को अच्छा नागरिक बनाना है , जिससे कि वे अपने राष्ट्र की उन्नति कर सकें . कुछ भी हो ,शिक्षा का ध्येय बहुत ही व्यापक है . वास्तव में वही मनुष्य को मनुष्य बना देती है .
लाभ :
शिक्षा से मनुष्य में ज्ञान का प्रसार होता है और उसकी बुद्धि का विकास होता है . शिक्षा के द्वारा ही मनुष्य को देश – विदेश ,इतिहास ,विज्ञान ,धर्मशास्त्र और राजनीति शास्त्र का ज्ञान होता है . शिक्षा से ही मनुष्य के दिमाग का पूर्ण विकास होता है
शिक्षा से ही मनुष्य अच्छे – बुरे की पहचान कर सकता है . भारत में जितने भी बड़े – बड़े समाज सुधारक हुए वे सबके सब बहुत शिक्षित थे . स्वामी दयानंद ,ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ,महात्मा गाँधी ,मदन मोहन मालवीय देश के सच्चे कर्णधार और सेवक थे . वे सब पूर्ण शिक्षित थे . इसी कारण आज इनलोगों का नाम इतना प्रसिद्ध है .
उपसंहार –
इतिहास साक्षी है कि अशिक्षित और असभ्य जाति में संस्कृति नहीं होती है . पूर्व पाषाण काल व उत्तर पाषाण काल के लोग अशिक्षित थे . आर्यजाति शिक्षित थी . बिना शिक्षा के मनुष्य पशु के समान है . अब प्रत्येक नागरिक को निरक्षरता के कलंक को दूर कर देना चाहिए .
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