फागुन

फागुन

फागुन का महीना अपने आप में एक सुंदर व सलोना महीना माना जाता है और हिन्दी माह का यह अंतिम महीना होता है अतः सुंदर, सुहावना व हुल्लड़ से भरा यह महीना सतरंगों से सजा होता है | इस मौसम का अंदाज ही अलग किस्म का होता है | लोगों को झूमने के लिये यह महीना काफी है | इसी माह के अंतिम समय में होली होती है जो रंगों का पवित्र त्योहार होता है | इस मौैसम की रंगीनियत से पूरे शमां में रंग भर जाता है | यह महीना कह लिजिये कि एक दिवानगी पैदा कर जाता है | इस माह में न तो मौसम ठंडा होता है न तो गर्मी होती है | फसलों के पकने का समय होता है | किसानों का घर धनधान्य से भरने वाला यह मौसम बिल्कुल आनंदमय माहौल पैदा करने वाला होता है जो मनोभावों को उद्वेलित करता रहता है |

फागुन का महीना जब शुरू होता है तो चारो तरफ नई खुशी का माहौल बन जाता है | फसलों का पकना शुरू हो जाता है | गेहूँ की बालियां लहराने लगती हैं | आमों में बौर आ जाता है | पुष्प खिलने लगते हैं | नये नये कपड़े लोग पहनने लगते हैं | गर्मी के कपड़े बक्से में बंद कर रख दिये जाते हैं | रजाई की भी सेवा समाप्त हो जाती है | पूरा गाँव गली में नया उत्साह भर जाता है | शादी विवाह का उत्सव इसी माह से जोर पकड़ने लगता है | शहनाई की धुन सुनकर नई नवेली बनने जा रही दुल्हन के मन में नयी नयी तरंगे उठने लगती हैं | इसी माह में पिया परदेशी के घर आने का समय हो जाता है | जैसे जैसे फागुन का महीना अपनी जवानी पर होता है वैसे ही युवाओं में नई नई प्रेम की लहर उठने लगती है | युवा तरंगों को नया जोश इसी माह में भरपूर मिलता है |

       फागुन के महीने में होली का बुखार चढ़ जाता है | चाहे बूढ़ा हो, चाहे जवान या बच्चा | सभी को इस माह में एक जैसे भावों का सुर मिलने लगता है | सभी को एक जैसा नशा हुआ रहता है,तब पूरे शबाब का रंग चढ़ जाता है | इस माह में भांग की भी कीमत बढ़ जाती है | लोग रसभंगा पीकर जमकर नाचते कूदते हुये गाँव गली नुक्कड़ पर मिल जाते हैं | घर घर नये पकवानों का बनना शुरू हो जाता है | जगह जगह फगुआ के गीत गाये जाते हैं | महिलायें भी खूब उछलकूद करती हैं | होलियारे भी खूब हल्ला मचाते हुये मिल जाते हैं | कवि सम्मेलन इस माह में खूब होता है | हास्य कवि सम्मेलन में नये नये शब्दों के साथ ठहाके लगाये जाते हैं और इसी माह में परीक्षाओं का भी बोलबाला होता है | शंकर जी के मंदिरों में जयगान शुरू हो जाते हैं जो बहुत ही अलबेला कहा जाने वाला मौसम अपने जुनून व शबाब पर होता है |
          कोई भी व्यक्ति अगर इस मौसम की रंगीनियत चाहे की भूल जाये तो शायद नामुमिकिन है जो नामुमिकिन है वह एक तरह से अपने लिये खाशियत से भरा मौसम बहुत ही सहज, सरल व सादगी से युक्त है | हम सभी को इस मौसम का लुत्फ लेते रहना चाहिये ताकि फागुनी रंग की छटा बनी रहे | नई ताजगी से मदहोश करता रहे , यही एक आनंददायक महीना है, पेड़ पौधे की पत्तियां झड़ जाती हैं तथा नई नई कोंपलें आने लगती हैं, कोयल भी कूं कूं करने लगती है | अतः फागुन का महीना पूरी तरह से अपनी जवानी पर होता है |
                                                                                                                                                                           जयचन्द प्रजापति ‘कक्कू’
                                                                                                                                                            जैतापुर,सियाडीह,हंडिया,इलाहाबाद
                                                                                                                                                                     मो.  7054868439