दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजा

भारत वर्ष त्योहारों का देश है . ये पर्व सामाजिक एकता के मूल आधार हैं . इनमे से कुछ पर्व तो विशेष क्षेत्र में ही सीमित होते हैं ,जबकि कुछ पर्व पूरे देश में मनाये जाते हैं . दुर्गा पूजा एक ऐसा पर्व है जो सम्पूर्ण देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता हैं . बंगाल में इस पूजा का विशेष महत्व है .यह पूजा वर्ष में दो बार मनाई जाती है .
१. वसंत काल में वसंत काल की पूजा को वसंत पूजा कहते हैं .
२ .शरद काल में : जो पूजा शरद काल में मनाई जाती है ,उसे शारदीय पूजा कहते है .

पौराणिक कथा :

ऐसा कहा जाता है कि महिसासुर नाम का एक असुर ,देवताओं को बड़ा कष्ट देता था . उसके उपद्रव से समस्त देवता स्वर्ग से भाग गए थे .देवताओं की प्रार्थना पर महाशक्ति दुर्गा देवी ने राक्षस का वध किया था . रामचंद्र ने भी रावण का वध करने के लिए शरद काल में दुर्गापूजा की थी . वर्तमान काल में भी लोग दुर्गा को शक्ति मानकार पूजा करते हैं .

प्रतिमा वर्णन :

दुर्गा दस भुजाओं वाली एवं तीन नेत्र वाली हैं . सिंह इनका वाहन है . ये गौर वर्ण की हैं . इसीलिए इनका नाम गौरी है .देवी की दाहिनी ओर लक्ष्मी और गणेश तथा बायीं ओर सरस्वती एवं कार्तिकेय की प्रतिमा होती है . कुछ प्रान्तों में रावण का पुतला जलाया जाता है . अस्त्र -शस्त्र की पूजा करते हैं .रामलीला का आयोजन होता है . दिल्ली एवं वाराणसी की राम लीला भारत में प्रसिद्ध है .